वस्तु विनिमय प्रणाली Barter system
वस्तु विनिमय प्रणाली से तात्पर्य ऐंसी आर्थिक व्यवस्था से है जिसमें लोगों द्वारा बिना किसी मुद्रा का उपयोग किए लेन देन की प्रक्रिया की जाती थी । इस प्रक्रिया में वस्तुओं के बदले अन्य वस्तुओं का अदान प्रदान होता था इसमें वस्तु की मात्रा पर जोर नहीं दिया जाता था ।
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हालांकि आधुनिक समय में यह व्यवस्था आवश्यकता अनुसार तथा समय के साथ साथ मुद्राओं तथा डिजिटल भुगतान जैसी प्रणालीयों के आ जाने से लुप्त हो चुकी है।
वस्तु विनिमय प्रणाली के लाभ
- मुद्रा की आवश्यकता नहीं – प्राचीन सभ्यता में प्रचलित वस्तु विनिमय प्रणाली में मुद्रा की आवश्यकता न होने पर अथवा मुद्रा का अभाव होने पर भी आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है ।
- नकली मुद्राओं से कोई खतरा नहीं – नकली मुद्राओं तथा महंगाई जैसी कोई परेशानी नहीं ।
- विदेशी व्यापार – वस्तु विनमय के दौरान किसी वस्तु का अदान प्रदान करने पर वस्तु की मात्रा या विनिमय दर का कोई खतरा नहीं।

वस्तु विनिमय प्रणाली के लाभ के साथ कुछ हानियां भी देखने को मिलती है जैसे
- वस्तुओं का अदान प्रदान करने वाले व्यक्तियों के बीच इच्छाओं के दोहरे संयोग की स्थिति – वस्तु विनिमय अर्थव्यवस्था में इच्छाओं के दोहरे संयोग का अर्थ यह है कि एक व्यक्ति जो खरीदना चाहता है ठीक वही व्यक्ति बेचना चाहता हो इस प्रकार की स्थिति के दौरान ही वस्तुओं का अदान प्रदान हो पाता है अन्यथा दोनों पक्षों की जरूरतों का न मिलना समय तथा विनाश हों जाने वाली वस्तु जैसे सब्जी हेतु हानिकारक है ।
इस प्रणाली की कमियों के कारण ही मुद्राओं का जन्म हुआ । तथा मुद्राओं की सहायता से हम वस्तुओं के महत्व विनिमय दर को पहचान सकते है।
मुद्राओं के कार्य
- वस्तुओं के महत्त्व को जानना
- वस्तुओं की कीमत पहचानना उन्हें मांपना
- विनिमय का माध्यम
- राशि संग्रहण करने में
- संग्रहण की हुई राशि को स्थानांतरित करने में
- उत्पादन हेतु वस्तुओं के एकत्रण/विक्रय में मदद करता है ।
- राष्ट्रीय आय को वितरण करना
प्राथमिक कार्य
- किसी वस्तु के मूल्य की माप करना
- विनिमय का माध्यम (Exchange)
द्वितीयक कार्य
- मूल्य का संचय करना
- मूल्य का स्थानांतरण करना
- आस्थगित भुगतान – किसी वस्तु हेतु भविष्य में भुगतान करना या समझौता करना ।
आकस्मिक कार्य
- आय अथवा राष्ट्रीय का वितरण
- संपत्ति की तरलता ( भूमि मकान इत्यादि बेचने से संपत्ति का मुद्रा में परिवर्तन या तरल होना)
- वित्तीय बाजार में उपयोगी
आइए जानते है प्राचीन काल के वस्तु विनिमय प्रणाली से लेकर आधुनिक युग के पैसों के कार्य व उनके प्रकार
- वस्तु मुद्रा (Commodity money)
- धातु मुद्रा (Metalic money )
- पेपर मुद्रा/फिएट/कानूनी मुद्रा (Fiat money)
1. वस्तु मुद्रा (Commodity money )
ऐसी वस्तुएं जिनमें अन्तर्भूत मूल्य पाया जाता है यह ऐसी वस्तुओं से बनी होती है जिनका इस्तेमाल अन्य कार्यों के लिए भी किया जा सकता है इनका उपयोग बिना धन के भी आर्थिक विनिमय हेतु किया जाता है ।
ये वस्तुएं दूसरी वस्तुओं का मूल्य नापने, विनिमय का माध्यम , व्यापार तथा धन के रूप में अपनी भूमिका निभाती है ।
उदाहरण कीमती धातुएं, सोना ,चांदी

- वस्तु मुद्रा के लाभ
वस्तु मुद्रा का सबसे बड़ा लाभ ये होता है कि इसमें अन्तर्भूत मूल्य शामिल होता है जिसका अर्थ यह है कि किसी कारण इसका मुद्रा के रूप में उपयोग न होने पर भी इसका मूल्य दूसरे रूपों में बरकरार रहता है जैसे सोने का उपयोग मुद्रा के रूप में न कर पाने पर भी वह एक मूल्यवान धातु के रुप में उपयोगी है ।
- वस्तु मुद्रा की हानियां
संग्रह करना तथा परिवहन में कठिनाई- वस्तु मुद्रा का सबसे बड़ा दोष यह है कि इसे संग्रह करना , सुरक्षित रखना तथा लाना ले जाना मुश्किल होता है ।जैसे सोना,चांदी व इनकी भारी मात्रा को संगृहीत करना तथा स्थानांतरित करना कठिन होता है ।
2. धातु मुद्रा (Metalic money)
सोना ,चांदी ,तांबा जैसी धातुओं से बनी मुद्राएं धातु मुद्रा कहलाती है धातु मुद्रा को सिक्के के रूप में ढाला जाता है तथा इसका मूल्य धातु की शुद्धता व वजन पर निर्भर करता है इन सिक्कों का उपयोग व्यापार तथा वस्तुओं के अदान प्रदान में किया जाता था ।

- धातु मुद्रा के लाभ
धातु मुद्राओं के अन्तर्भूत मूल्य का उपयोग किसी अन्य वस्तु के उत्पादन में किया जा सकता है ।
धातु मुद्रा के मूल्यों में स्थायित्व बना रहता है
मुद्रास्फीति नहीं होती
अंतरराष्ट्रीय व्यापार संभव
- धातु मुद्रा की हानियां
वजन और परिवहन में कठिनाई
संग्रह करने तथा सुरक्षा में कठिनाई ।
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