समाजवाद से तात्पर्य जब उत्पादन एवं वितरण के कारकों पर राज्य/समाज का नियंत्रण होता है तथा लोकक्षेत्रक का प्रभाव समाजिक ,आर्थिक परिवर्तन में अधिक सक्रिय होता है ऐसी व्यवस्था को समाजवादी व्यवस्था कहते हैं ।
समाजवाद को सामाजिक एवं आर्थिक समानता के सिद्धांत के रूप में जाना जाता है
भारतीय समाजवाद की जड़ें स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी हुई है पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा इसे महत्वपूर्ण माना गया है भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान समाजवाद ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है
जवाहरलाल नेहरू की नीतियों/योजनाओं में स्पष्ट रूप से समाजवाद की झलक दिखाई देती है जिससे भारत में भारी उद्योगों का विकास हुआ तथा साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका भी बढ़ी ।
समाजवादी शब्द को मूल संविधान में उद्देशिका / प्रस्तावना में शामिल नहीं किया गया क्योंकि DPSP ( राज्य के नीति निदेशक तत्व) के होते हुए आवश्यकता नहीं समझी गई ।
नोट समाजवादी शब्द को मूल संविधान प्रस्तावना में 42वाँ संविधान संशोधन के द्वारा 1976 में शामिल किया गया है ।
भारतीय समाजवादी व्यवस्था को लोकतांत्रिक समाजवादी व्यवस्था कहा जाता है । क्योंकि भारतीय समाजवादी व्यवस्था USSR/सोवियत संघ की भांति अति समाजवाद/ अति राज्यवाद से प्रभावित नहीं होती है ।
लोकतांत्रिक समाजवाद की विशेषताएं
- लोकतांत्रिक समाजवाद लोकक्षेत्रक तथा निजी क्षेत्रक पर पूर्ण नियंत्रण नहीं करता जिससे अति राज्य वाद तथा अति समाजवाद की आशंका खत्म हो जाती है।
- लोकतांत्रिक समाजवाद में व्यक्तिवाद व समाजवाद दोनों पर बल दिया जाता है ।
- इसमें निजी प्रशासन, कंपनी,तथा बाजार को भी आगे बढ़ने के अवसर होते हैं ।
- भारतीय समाजवाद में मिश्रित अर्थव्यवस्था पाई जाती है ।
- उदारवाद तथा समाजवाद दोनों को एक साथ लेकर चला जाता है ।